Nirmala Sinha

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लेखनी प्रतियोगिता -08-Jan-2022

प्रतियोगिता-आशिकी 


जो नहीं चाहते थे वो हो गए 
ना-ना करतें हुए भी हम तेरे आशिक हो गए। 

इस कद्र तेरी खूँमारी में डूबें कि 
रात तो रात है, दिन में भी चिलमन जलाकर 
इंतज़ार करने लगें। 

जमाना पागल कहता है मुझे 
लेकिन जमाने की मुझे फिक्र नहीं 
मुझे तो तेरी जरूरत है 
तेरी आशिकी मेरी जरूरत है। 

माना कि अभी वक्त अच्छा नहीं 
लेकिन तुझसे मिलने ना आऊँ  ये बहाना भी 
तो अच्छा नहीं  

कभी रूठने का हक हमें भी दे दो
हर समय तुम ही रूठो ये भी तो अच्छा नहीं। 

रूठ जाए हम अगर कभी तो मनाया भी करो 
यूँ  बेवजह दूरियाँ मत लाया करों। 

तेरी आशिकी में हम ऐसे डूबें की 
राधा कहो या मीरा सब मुझे एक 
लगने लगें। ।

श्रीमती निर्मला सिन्हा डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ से एक सोशल वर्कर लेखिका साहित्यकार व कवयित्री 


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13 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Jan-2022 05:40 PM

बहुत सुंदर रचना

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Ravi Goyal

10-Jan-2022 08:45 AM

बहुत सुंदर रचना 👌👌

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Punam verma

09-Jan-2022 09:23 AM

Nice

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